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नमस्कार मित्रों ! जेएनयू विवाद के बाद ओबैसी विवाद का खूंटा पकड़े भगवा पल्टन जुबानी पैंतरेबाजी में मशगूल है। काफी हद तक भगवा पल्टन मूल मुद्दे से इस देश का ध्यान भटकाने में सफल हो रही है। जेएनयू विवाद का यह अहम सबाल भगवा पल्टन की जुबानी पैंतरेबाजी में हाशिये पर चला गया की आखिर इस देश का ख़ुफ़िया तंत्र ,केंद्रीय गृह मंत्रालय ,मानव संसाधन विकास मंत्रालय क्या कर रहा था?उसे जेएनयू में अफजल गुरु के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम की खबर आखिर क्यों नहीं थी ?यदि खबर नहीं थी तो यह ख़ुफ़िया तंत्र ,केंद्रीय गृह मंत्रालय ,मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाकारापन था या नहीं ? जेएनयू में अमानव संसाधन विकास फजल गुरु के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम से सम्बंधित वीडिओ फूटेज की फोरेंसिक जांच में वीडिओ फूटेज से छेडछाड की पुष्टि होने और इस छेडछाड के पीछे मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की सहेली( जिसे प्रधान मंत्री ट्वीट किया करते हैं ) की कारगुजारी उजागर होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ,मानव संसाधन विकास मंत्रालय , प्रधान मंत्री द्वारा चुप्पी ओढ़ लेने की क्या वजह हो सकती है ?
कमोबेश ऐसा ही कुछ ओबैसी विवाद का खूंटा पकड़े भगवा पल्टन जुबानी पैंतरेबाजी में भी हो रहा है। यह बात समझी जानी चाहिए की भगवा पल्टन वाचिक देश भक्ति का स्वांग रच कर सिर्फ और सिर्फ सियासी स्वार्थ साधने ,साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण चाहती है भगवा पल्टन।वाचिक देश भक्ति के स्वांग के पीछे छिपी नीति और नियत को समझने की जरुरत है। जुबानी भारत माता की जय करने ,वन्देमातरम बोलने या न बोलने को भगवा राष्ट्र भक्ति का पैमाना मानना राष्ट्र भक्ति को बहुत संकीर्ण दायरे में कैद करने जैसा है। वाचिक देश भक्ति का स्वांग भगवा पल्टन का भला भले करे इस देश का भला कत्तई नहीं कर सकती। मनसा वाचा कर्मणा देश भक्ति ही श्रेयष्कर है।
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