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व्यंग्य
बाबा दामदेव से ………
साहेब ! अपुन बाबा दामदेव से सख्त नाराज हैं। इतने गुनी बाबा के रहते इस भारत भूमि के चौकीदार की याददाश्त सुधारने का कोई जतन बाबा दामदेव ने नहीं किया। इनकी नालायकी नहीं तो क्या है की काला धन ,भ्रष्टाचार वगैरह के मुद्दे का मन्त्र फूंक कर इस मुल्क को एक ऐसे चौकीदार के हवाले कर दिया जिसकी छाती तो 2014के चुनावी समर में 56 इंची की हो गई और याददाश्त लुप्त हो गई। बाबा दामदेव इतने काबिल योगी हैं , इतने महान आयुर्वेदज्ञ हैं परन्तु इतने मोहग्रस्त की याददाश्त दुरुस्त रखने का नुस्खा दाबे बैठे हैं। यदि इस नुस्खे से उन्होंने कोई चमत्कारिक औषधि पैदा की होती इस मुल्क के चौकीदार को खिलाई होती तो बेचारे चौकीदार को बार बार एक ही बात फेंटने की क्या जरुरत थी। बेचारा देश विदेश हर जगह 2014 से अब तक यही बताने में अपनी बेशकीमती ऊर्जा का नाश कर रहा की -भाइयों और बहनों मैं चाय बेचा करता था। विधान सभा के चुनाव होने लगे तब बेचारे को ये अहम बात याद आई की उसकी माताश्री दूसरों के घरों में बर्तन मांजा करती थीं। साहेब ! यदि बाबा दामदेव दूरदृष्टा होते तो उनकी दृष्टि इस कमी की ओर कब की जा चुकी होती की चौकीदार को चिरस्मृति काढ़ा पिलाया जाना चाहिए। गलती बाबा दामदेव की और जनता कुढ़ रही बेचारे चौकीदार पर की यार ये चाय बेचता था ,इसकी माताश्री दूसरों के घर बर्तन मांजती थी यही भजते रहेगा या कुछ काम धाम भी करेगा ? जनता कुढ़ रही की ये चौकीदार काला धन कब लाएगा ,संसद को दागियों से मुक्त कब करेगा ,भ्रष्टाचार से मुक्ति कब दिलाएगा ,मंहगाई की मार से कब निजात दिलाएगा ,एक के बदले दस सिर काटने की बात पर कब अमल करेगा ?
मेरे मित्र चाटू तो इस कदर खीझे हुए हैं की पूछिए मत ।जब मिलो उनका एक ही सबाल होता है की देश ने इसे चौकीदारी क्या यही बकबास सुनने के लिए सौंपी थी की पूरे पांच साल इसका बीता कल कैसा था यही गाता रहे। चाटू पूछते हैं- गुरु ईमानदारी से बोलो एपीजे अब्दुल कलाम साहब ने कभी कहा क्या की उनके पिता क्या करते थे या वो खुद हाकर हुआ करते थे ? चाटू यहीं नहीं रुकते भन्नाए हुए कहते हैं गुरु अवाम को मूर्ख बनाने बाले को इस देश ने कभी माफ़ नहीं किया। ये तुम्हरे चौथे खम्भे के जरिये फैलाए मिथ्या आभामण्डल के सहारे चौकीदारी भले हथिया बैठा हो पर अभी तक अवाम को मूर्ख समझने के मुगालते में जीने ,अभी भी अवाम को मूर्ख बनाने की पैतरेबाजी का हिसाब जनता जरूर लेगी।
बाबा दामदेव को मेरी नेक राय है की चौकीदार साहेब की याददाश्त का फ़ौरन से पेश्तर ईलाज शुरू करें, ताकि उसे उन सपनो की याद आ जाए जो बेच कर उसने इस मुल्क की चौकीदारी हथियाई है। मेरी नेक राय बाबा दामदेव को इसलिए भी की जो सपने बेचे गए उनको साकार करने का ख़म ठोकू भरोसा वो दिलाते रहे हैं। कामना कीजिये की चाहे बाबा दामदेव के योग के चमत्कार से ,चाहे उनकी किसी चमत्कारिक औषधि से बेचारे चौकीदार की याददाश्त लौट आये और वो चाय बेचू प्रलाप बंद करे ,अपनी माताश्री के बीते कल का प्रलाप बंद करे और जो सपने उसने चुनावी मंडी में बेचे उनको साकार करने की ईमानदार कोशिश शुरू करे। इति !
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