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भ्रष्ट तंत्र के चक्रव्यूह को तोडना कठिन चुनौती:राष्ट्रपति एवम प्रधानमंत्री पर भारी भ्रष्ट तंत्र

sach ke liye sach ke sath
sach ke liye sach ke sath
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भ्रष्ट नौकरशाहों ,जनता के नुमाइंदों की दुरभिसन्धि से एक ऐसे चक्रव्यूह की संरचना होती है जिसे भेद पाना टेढ़ी खीर है। इस चक्रव्यूह को तोड़ने का प्रयास करने बाले मेरे जैसे खोजी और मिशनरी पत्रकार के सामने तीन विकल्प होते हैं। इस चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए लोकतान्त्रिक तरीकों से प्रयास करे।लोकतान्त्रिक तरीकों से किये गए प्रयासों के वावजूद न्याय न मिलता देख खुद कानून हाँथ में लेकर बागी बन कानून के फंदों का शिकार बने ,या जनहितयाचिका /याचिका दायर करके न्यायपालिका का द्वार खटखटाए या नौकरशाहों ,जनता के नुमाइंदों की दुरभिसन्धि से बने इस चक्रव्यूह को अभेद्य मान कर सरेंडर कर दे।
मैं नजीर के तौर पर एक ऐसे ही मामले से सुधि पाठकों को रूबरू करा रहा हूँ। मामला रेलवे के आला अफसरानों द्वारा 04. 10 . 2002 को इलाहबाद डिवीजन के परिचालन विभाग के आला अफसरानों द्वारा जानबूझ कर कराई गई एक भीषण रेल दुर्घटना का है। इस भीषण रेल दुर्घटना मे इस देश को तकरीबन 100 करोड़ की आर्थिक क्षति झेलनी पड़ी ,रेलवे का एक चालक तथा एक नागरिक अकाल मौत का शिकार हुआ. दिल्ली -हावड़ा रूट पर 56 घंटे तक अप और डाउन लाईन पर परिचालन ठप्प रहा।
टीएक्सआर कानपुर द्वारा दिए गए मेमो में दर्ज है
(यार्ड मास्टर बी केबिन जूही। गाडी नंबर DN BDC line no 15 में 8 . 05 पर आई है। इसका OPRS no 0516174 है जो की NH द्वारा 29flrEcj 02 को issue किया गया है। यह गाडी TRR से 30 सितम्बर 2002 को लोड होकर आ रही है। इसका ब्रेक वान प्लेन बेयरिंग है तथा यह 800 किमी से अधिक चल चुकी है।इस गाडी का गहन तकनीकी परीक्षण ड्यू है। इसका तकनीकी परीक्षण GMC कराये)

यह भीषण रेल दुर्घटना रेलवे के आला अफसरानों द्वारा जानबूझ कर कराई गई इस बात के ठोस दस्ताबेजी प्रमाणों के साथ महाप्रबंधक इलाहाबाद जोन ,चेयरमैन रेलवे बोर्ड ,रेलमंत्री ,इस मुल्क के माननीय प्रधान मंत्री ,राष्ट्रपति ,तकरीबन 200 सांसदों (जिनमे कुछ मौजूदा सरकार में ‘माननीय मंत्री हैं) इलाहाबाद उच्च न्यायलय तथा सर्वोच्च न्यायलय के माननीय मुख्य न्यायाधीश को इन पंक्तियों के लेखक ने ज्ञापन भेजा। सिर्फ प्रधान मंत्री सचिवालय एवं राष्ट्रपति सचिवालय ने ही इस प्रकरण का संज्ञान लिया तथा रेल मंत्रालय तथा रेलवे बोर्ड के सचिव को आवश्यक कार्यवाई हेतु लिखा।
संदर्भित रेल दुर्घटना की जांच रिपोर्ट के पेज 1 के पैरा (v) में दर्ज अधिकारीयों की करतूत (“This train has given last entensive examination at NH SDAH/ER on 29.9.02 vide oprs no. 0516174,and was running from TRR to SRP without any examination in Dli div as well not given at GMC though memo was given)
जब कोई कार्यवाई न हुई यह बात मैंने माननीय प्रधान मंत्री ,राष्ट्रपति को बताई तब प्रधान मंत्री सचिवालय एवं राष्ट्रपति सचिवालय ने रिमाइंडर भेजा। प्रधान मंत्री सचिवालय एवं राष्ट्रपति सचिवालय के पत्र और रिमाइंडर पर कृत कार्यवाई विषयक मेरी आरटीआई का जबाब मेरी इस धारणा की पुष्टि करने बाला था की भ्रष्ट नौकरशाहों ,जनता के नुमाइंदों की दुरभिसन्धि से बना चक्रव्यूह अभेद्य है। इसे मेरे जैसा मिशनरी पत्रकार नहीं तोड़ सकता।जनहित का प्रत्यक्ष मामला होते हुए भी इसका संज्ञान इलाहाबाद उच्च न्यायलय तथा सर्वोच्च न्यायलय के माननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा नहीं लिया गया। इस कलमकार ने जब कुछ विद्वान् अधिवक्ताओं से इस मामले में जनहित याचिका दायर करने के लिए विधिक परामर्श लिया तो जनहित याचिका दायर करने बालों के खिलाफ आये दिन ठोकी जाने बाली पेनाल्टी के रिस्क फैक्टर का हवाला देते हुए जो नेक सलाह दी गई उसका निचोड़ यही था की इस व्यवस्था में न्याय हासिल करना आसान नहीं। उत्तर मध्य रेलवे इलाहबाद के अहरौरा रॉड स्टेशन पर हुई डाउन बीडीसी और अप पानीपत गुड्स ट्रेन की भीषण रेल दुर्घटना के जिम्मेवार आला अधिकारी मौज मजे से हैं।इसकी फाईल दुर्घटना के जबाबदेह अधिकारीयों ने दफना दी।
इस रेल दुर्घटना की जांच रिपोर्ट में दर्ज है की डाउन बीडीसी गुड्स ट्रेन का गहन तकनीकी परीक्षण ड्यू था। इस गुड्स ट्रेन में लगाया गया गार्ड ब्रेक वान तय मानक का नहीं था। कानपूर में टीएक्सआर ने (जिसकी तैनाती माल तथा यात्री गाड़ियों का तकनीकी परिक्षण कर यह प्रमाण पत्र देने के लिए होती है की माल या यात्री गाड़ी का परिचालन तकनीकी दृष्टि से सुरक्षित है। किसी तकनीकी खराबी की स्थिति में वह परिचालन विभाग को मेमो देता है की तकनीकी खामी ठीक करने के लिए वह माल या यात्री गाड़ी कैरेज एण्ड वैगन विभाग को दी जाए ) मेमो देकर परिचालन विभाग को बताया था की डाउन बीडीसी गुड्स ट्रेन का गहन तकनीकी परीक्षण कराया जाए। परन्तु इस मेमो का संज्ञान नहीं लिया गया उसे आगे रबाना कर दिया गया। नतीजा अहरौरा रॉड स्टेशन पर डाउन बीडीसी गुड्स ट्रेन पलट गई. जिसकी चपेट में आई अप पानीपत गुड्स ट्रेन भी पलट गई.. यह एक संयोग ही था की डाउन बीडीसी गुड्स ट्रेन की चपेट में अप पानीपत गुड्स ट्रेन आई ।डाउन बीडीसी गुड्स ट्रेन की चपेट में अप पानीपत गुड्स ट्रेन की जगह कोई मेल -एक्सप्रेस यात्री गाड़ी आई होती तो मौत का खौफनाक मंजर हमारे सामने होता।
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इस मामले में मीडिया की भूमिका भी शर्मनाक रही। एक अपवाद को छोड़ कर (मैंने अपने पाक्षिक अपडेट न्यूज में इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया और पंजाब केशरी के आदरणीय संपादक श्री अश्विनी कुमार जी ने पंजाब केशरी में मेरी न्यूज स्टोरी प्रमुखता से प्रकाशित की।) इन पंक्तियों के लेखक ने ठोस दस्तावेजी प्रमाणों के साथ नामचीन हिंदी दैनिकों ,टीवी चैनलों ,पत्रिकाओं को इस प्रकरण को प्रकाशित ,प्रसारित करने हेतु भेजा।स्वनामधन्य मीडिया मठाधीशों के लिए किसी सेलिब्रिटी का दुपट्टा सरके ,कोई अधिकारी मेला क्षेत्र में पेशाब करता दिखे यह बिकाऊ खबर महत्वपूर्ण होती है परन्तु आला अफसरानों द्वारा जानबूझ कर रेल दुर्घटना को अंजाम दिया जाना खबर नहीं ,मुद्दा नहीं। हिंदी दैनिक हिंदुस्तान की संपादक मृणाल पाण्डेय जी को भी मैंने यह मामला भेजा ,उनसे टेलीफोन पर निवेदन भी किया।मामला गम्भीर है ,प्रकाशित होगा की उनकी बात पर कदाचित रेलवे के विज्ञापनों की कृपा भारी पड़ी। उन्होंने न तो मेरी रिपोर्ट प्रकाशित की और न ही भेजे गए प्रमाण वापस किये।
भ्रष्ट तंत्र के चक्रव्यूह ने इस रेल दुर्घटना की फाईल को इतने गहरे दफ़न किया है की राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री तक का हस्तक्षेप नाकाम साबित हुआ।यह सबाल अनुत्तरित है की भ्रष्ट तंत्र के चक्रव्यूह को कैसे तोडा जाए ?

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