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एक पाती” उत्तम प्रदेश “के मुखिया के नाम

sach ke liye sach ke sath
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आदरणीय अखिलेश यादव जी ,
माननीय मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश।
मेरे मन में उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के आपके इरादों को लेकर या सूबे की बेलगाम नौकरशाही की लगाम कसने की आपकी मंशा को लेकर कत्तई कोई संशय नहीं है। आपने इस दिशा में एक सार्थक पहल भी की है। cmup@nic.in पर भेजी गई शिकायतों पर तत्काल एक कम्प्यूराइज्ड संख्या दी जाती है और शिकायत किस अधिकारी को भेजी गई इसकी सूचना भी।
आपके इस सकारात्मक प्रयास को सूबे की बेलगाम नौकरशाही पलीता लगा रही है।मुख्य मंत्री सचिवालय से संदर्भित मामलों को भी सूबे की बेलगाम नौकरशाही या तो ठन्डे बस्ते के हवाले कर रही है या गलत फीड बैंक देकर मुख्य मंत्री सचिवालय को और प्रकारांतर से आपको भी गुमराह कर रही है। बेलगाम नौकरशाही अपनी मनमानी करने ,मुख्य मंत्री सचिवालय को गुमराह करने में सफल हो रही है क्योंकि मुख्य मंत्री /मुख्य मंत्री सचिवालय द्वारा संदर्भित मामलों की मॉनिटरिंग की कारगर व्यवस्था नहीं की गई है। नौकरशाही की अंधेरगर्दी से त्रस्त जनसामान्य को न्याय देने की नेक मंशा से ही आपने जनसुनवाई पोर्टल भी शुरू कराया है। परन्तु मॉनिटरिंग की कारगर व्यवस्था न होने की वजह से इन पोर्टलों का हश्र भी cmup@ nic .in पर आने बाली शिकायतों जैसा ही हो रहा है।

मैं यह बात पूरी जिम्मेवारी से कह रहा हूँ की राजधानी लखनऊ में बैठे चन्द जयचन्द नुमा अधिकारी आपकी सरकार की छवि से खिलवाड़ कर रहे हैं ।वह यह स्थापित करना चाहते हैं की सपा सरकार में आला अधिकारियों की नजर में न तो मुख्य सचिव की कोई अहमियत है न ही मुख्य मंत्री की।यदि आपकी नीति और नीयत में साम्य है ,यदि वास्तव में आप सूबे की बेलगाम नौकरशाही की नकेल कसना चाहते हैं तबcmup@nic.in तथा जनसुनवाई पोर्टल पर आने बाली शिकायतों की मानीटरिंग की व्यवस्था कीजिये। आपके राज में परिबहन विभाग की अंधेरगर्दी का आलम यह है की एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की अपरोक्ष हत्या कर दी जाती है,जिस भ्रष्ट अधिकारी ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को अपने दमन चक्र में फंसा कर सुनिश्चित मौत के मुकाम तक पहुँचाने का कुकृत्य किया उसके आपराधिक कुकृत्य की लीपापोती करने में अपर परिबहन आयुक्त , परिबहन आयुक्त एवं प्रमुख सचिव परिबहन की तिकड़ी ने अपनी सारी काबिलियत झोंक दी।चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की अपरोक्ष हत्या के ठोस दस्तावेज़ी सबूतों का संज्ञान लेने को यह तिकड़ी तैयार नहीं।
मामला परिबहन कार्यालय कौशाम्बी में मध्य जुलाई 014 तक कार्यरत रहे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रविंद्र कुमार तिवारी की परिबहन कार्यालय मिर्जापुर में तैनाती के दौरान 10 सितम्बर 014 को हुई दर्दनाक मृत्यु से जुड़ा है। रविंद्र कुमार तिवारी परिबहन कार्यालय कौशाम्बी में तैनाती के दौरान वहां के सहायक परिबहन अधिकारी श्री आर.यन. चौधरी के पालित प्राइवेट दलालों का विरोध करने की वजह से श्री आर.यन. चौधरी का कोप भाजन बना। इस बेलगाम सहायक परिबहन अधिकारी ने रविंद्र कुमार तिवारी को आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना देने का जो सिलसिला शुरू किया वह उसकी मृत्यु के बाद तक जारी रहा।

( दमन चक्र और प्रताड़ना के अहम् विंदू जिनका संज्ञान अपर परिबहन आयुक्त , परिबहन आयुक्त एवं प्रमुख सचिव परिबहन की तिकड़ी ने नहीं लिया 01- कर्मचारी की एसीपी रोकी गई थी ।02 – ड्यूटी के वावजूद नवम्बर 013 से उसकी मौत होने तक उसे वेतन नहीं दिया गया।03 – मध्य जुलाई 014 में स्थानांतरित कर्मचारी की सर्विस बुक ,एलपीसी उसकी मौत के एक हफ्ते बाद 16 सितम्बर 014 को भेजी गई। )

इस कर्मचारी ने मेरी उपस्थिति में अपर परिबहन आयुक्त श्री आर.एस. पाण्डेय को बताया था की सहायक परिबहन अधिकारी कौशाम्बी श्री आर.यन. चौधरी के पालित प्राइवेट दलालों का विरोध करने की वजह से श्री चौधरी उसे आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना दे रहे हैं ,उसे जबरिया अनुपस्थित कर उसका वेतन रोकते हैं ,सभी कर्मचारियों को एसीपी दी गई परन्तु उसकी एसीपी नहीं दी जा रही। अपर परिबहन आयुक्त श्री आर.एस. पाण्डेय को भली भांति पता था की उक्त कर्मचारी को प्रताड़ित किया जा रहा था परन्तु उन्होंने कोई कार्यवाई न की। कर्मचारी दमनचक्र में पिसता रहा और अंततः उसे मौत हासिल हुई।
उक्त कर्मचारी का वेतन बिना किसी आधार एवं औचित्य के नवम्बर 2013 से ही बेलगाम सहायक परिबहन अधिकारी कौशाम्बी ने रोक रखा था। मध्य जुलाई 014 में जब उक्त कर्मचारी को परिबहन कार्यालय कौशाम्बी से परिबहन कार्यालय मिर्जापुर स्थानांतरित किया गया तब उसकी सर्विस बुक और एलपीसी सहायक परिबहन अधिकारी कौशाम्बी ने परिबहन कार्यालय मिर्जापुर नहीं भेजी (उसकी सर्विस बुक और एलपीसी 10 सितम्बर 014 को गम्भीर अवसाद की स्थिति में उसकी दर्दनाक मौत के एक हफ्ते बाद 16 सितम्बर 014 को अपर परिबहन आयुक्त श्री आर.एस. पाण्डेय के हस्तक्षेप के बाद भेजी गई इस अंधेरगर्दी का भी अपर परिबहन आयुक्त ने संज्ञान नहीं लिया । )सर्विस बुक और एलपीसी न आने की वजह से मिर्जापुर से भी उसे वेतन का भुगतान नहीं किया गया। सहायक परिबहन अधिकारी कौशाम्बी के दमन चक्र में फंसा यह कर्मचारी आर्थिक ,मानसिक प्रताड़ना के कारण गम्भीर अवसाद का शिकार था।10 सितम्बर 014 को गम्भीर अवसाद की स्थिति में उसकी दर्दनाक मौत हुई।नवम्बर 2013 से ही उसे वेतन नहीं मिल रहा था, आर्थिक तंगी के कारण उसका समुचित इलाज नहीं हो सका। आपके राज में एक कर्मचारी को दमन चक्र में फंसा कर मार डाला गया।कर्मचारी की मौत सहायक परिबहन अधिकारी कौशाम्बी द्वारा दी जा रही आर्थिक ,मानसिक प्रताड़ना की वजह से हुई ,उसे आर्थिक ,मानसिक प्रताड़ना दी जा रही थी इस बात के ठोस दस्तावेजी प्रमाणों के साथ इस प्रकरण को मैंने एक जिम्मेवार नागरिक ,जनसारोकरों के प्रति जागरूक पत्रकार तथा प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के पंजीकृत संगठन पूर्वांचल प्रेस क्लब उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते cmup@ nic .in तथा जनसुनवाई पोर्टल पर आपको भेज कर आपके राज में परिबहन विभाग की अंधेरगर्दी से अवगत कराने की कोशिस की। आपके ओएसडी ,आपकी कैबिनेट के 03 मंत्रियों को दस्तावेजी सबूतों के साथ इस मामले से अवगत कराया। आपके मंत्रियों , आपके ओएसडी नें आपको आपके राज में परिबहन विभाग की इस अंधेरगर्दी से अवगत कराया होता तो सूबे की बेलगाम नौकरशाही की लगाम कसने मे आपने कोताही न की होती और आपको यह पाति न भेजनी पड़ती ।
आपको हैरानी होगी की प्रमुख सचिव /सचिव को cmup@ nic .इन तथा जनसुनवाई पोर्टल के कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम से यह प्रकरण बार -बार संदर्भित किया जाता रहा पर परिणाम ढाक के तीन पात।
जिस दमन चक्र में फंसा कर उक्त कर्मचारी को मार डाला गया उसी दमनचक्र में उसके आश्रित को फंसा कर मार डालने का खेल शुरू हो चुका है। मृतक आश्रित की लखनऊ में नियुक्ति हेतु मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन जी ने 07 अक्टूबर 014 पत्रांक 2354 /पीएसएमएस/2014 मुख्य सचिव परिबहन को पत्र भेजा ,25 सितम्बर 015 को पत्रांक 4652 /PSMS/ /GEN/ 2015 रिमाइंडर भेजा ,अनुपालन आज तक नहीं। जिलाधिकारी लखनऊ द्वारा निर्गत उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (जो उत्तराधिकारी और उसके पता की जांच के बाद ही जारी किया जाता है ) के वावजूद मृतक आश्रित का पता जांचने के नाम पर नियुक्ति पत्रावली अपर परिबहन आयुक्त , परिबहन आयुक्त और संभागीय परिबहन अधिकारी के बीच घूम रही है। मृतक आश्रित की नियुक्ति का प्रकरण भी cmup@ nic .in तथा जनसुनवाई पोर्टल के कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम से संदर्भित किया गया है।
यदि आप बेलगाम नौकरशाही का असली चेहरा देखना चाहते हैं ,नौकरशाही कैसे कैसे दमनचक्र तैयार करती है इसे समझना चाहते हैं तब इस मामले की पत्रावली के साथ आप मौजूदा अपर परिबहन आयुक्त और उनके पूर्ववर्ती अपर परिबहन आयुक्त,परिबहन आयुक्त , मौजूदा और उनके पूर्ववर्ती प्रमुख सचिव परिबहन को तलब कीजिये, पत्रावली का अध्ययन कीजिये। cmup@ nic .in तथा जनसुनवाई पोर्टल की मॉनिटरिंग की व्यवस्था भी कीजिये। उम्मीद है आप भी मेरी इस बात से सहमत होंगे की बेलगाम नौकरशाही की नकेल कसना कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम से किसी प्रकरण को संदर्भित कर देने और भूल जाने से संभव नहीं है । मुझे अपनी बात इस पाति के माध्यम से आप तक पहुंचानी पड रही है इसका मुझे खेद है परन्तु मुझे और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा।
२१.४.२०१६.
सादर !
राजीव कुमार ओझा

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