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व्यंग्य साहेब ! एक कला है थूकना

sach ke liye sach ke sath
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अपनी भारत भूमि पर संपन्न 2014 के सियासी महासमर और उसके नतीजों ने कहीं भी किसी पर भी थूकने को सबसे आसान और सबसे वाहियात काम समझने की मेरी धारणा को गलत सिद्ध कर दिया। मैंने कई रातें थूकने के अतीत ,वर्तमान और सुनहरे भविष्य के बारे में सोंचने में खोटी की है। खोटी की गई रातों का निचोड़ अपने सुधि पाठकों को न बताऊँ ये बेईमानी होगी। साहेब 2014 के सियासी महासमर के नतीजों के बाद मेरी नजर में थूकना एक कला है । एक समृद्ध इतिहास समेटे एक संस्कृति है।इसके इतिहास पर गहन शोध की आवश्यकता है।इतिहास के झरोखे में झांकिए तो क्या महाभारत ,क्या रामायण आज जिन्हे हम पूजते हैं वो पूजने लायक हो सके तो अपने विरोधी पर थूक कर ही। मर्यादा पुरुषोत्तम और उनके सपोर्टर प्रकाण्ड पण्डित परम प्रतापी रावण और उनके लगुओं ,भगुओं पर ,पाण्डव पार्टी और उनके सपोर्टर कौरव पार्टी पर थूकते रहे और विजय श्री हासिल की। खोटी की गई रातों का निचोड़ विस्तार से लिखने बैठूं तो पोथा प्रचण्ड लिख मारुं। मात्र दो नजीर सिर्फ यह बताने के लिए की थूकने का हमारा इतिहास काफी समृद्ध रहा है।ये तो रहा अतीत का निचोड़।
थूकने का हमारा वर्तमान हमारे अतीत का आधुनिक संस्करण है। 2014 के सियासी महासमर के नतीजों ने यह साबित कर दिया है की सिर्फ थूक कर अपनी भारत भूमि पर सत्ता छीनी जा सकती है ,सत्ता हासिल की जा सकती है। साहेब आपमें थूकास्त्र का प्रयोग एक कला के रूप में करने का हुनर हो तब आप कमाल कर सकते हैं। थूकास्त्र का विरोधियों पर सटीक प्रहार करना कोई हँसी ठिठोली नहीं है । इसके लिए जिगरा चाहिए जो कम से कम 56 इंची छाती के फीचर के साथ हो। आपके पास न्यूनतम गज भर की जुबान होनी चाहिए वो भी नान स्टाप फीचर के साथ।
सियासी समर में थूकास्त्र का प्रयोग करने की कला के साथ ही अपनी तरफ आने बाले विरोधी खेमों के थूकास्त्र की सटीक काट और शर्तिया परिणाम हासिल करने के लिए आपका थूकास्त्र का प्रयोग करने की कला का ऊँचे दर्जे का कलाकार होना जरुरी है। विरोधी पर कलाकारी से थूकने का हुनर होना चाहिए । आपके चेहरे में गिरगिटी फीचर होने चाहिए । ताकि सियासी समर के दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाएँ। अच्छे दिनों के सपनों में खो जाएँ तभी पप्पू फेल होगा आप पास हो पाएंगे। ताकीद रहे आपकी खाल मोटी होनी चाहिए और खोपड़ी में थूक प्रूफ डिवाइस लगी होनी चाहिए ताकि अगले पर जिस थूकास्त्र की मिसाईल दाग कर आपने इस मुल्क की चौकीदारी हासिल की है वही मिसाईल जब अच्छे दिनों के सपनों के बिखरने से क्षुब्ध सियासी समर के दर्शकों और सियासी समर में धूल चाट चुके आपके विरोधी खेमे की तरफ से आप पर चलाई जाये तो आप पर न थूकने का असर हो न थूकास्त्र का। आप अपनी 56 इंची छाती से आच्छादित जिगर और गजभरी जुबान से इस भारत भूमि ही नहीं विदेशी धरा से भी वही थूकास्त्र चलाते रहें जो 2014 के सियासी समर में चला कर आपने यह साबित किया की थूकने से सत्ता पलटी जा सकती है ,हासिल की जा सकती है दर्शकों को झाड़ू थमाई जा सकती है। वर्तमान पर भी सिर्फ एक नजीर ही दे रहा हूँ।
अब बात थूकने के सुनहरे भविष्य की। 2014 के सियासी समर के परिणाम को देखते हुए हमें इसका भविष्य काफी उज्जवल नजर आता है। साहेब थूकने की जिस कला से देश का निजाम बदल जाये उसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। पाठ्यक्रमों में थूकने के भांति -भांति के कोर्स चलाये जायेंगे। मसलन कैसे ,कहाँ ,किस पर क्यों थूकें । थूकने के अभिनव प्रयोग ,थूक में देश के युवाओं का भविष्य। इस पाठ्यक्रम के साथ साथ अलग अलग सेक्टर के लिए अलग अलग लेबिल के ट्रेनिंग कोर्स चलाये जायेंगे ।बाबा दामदेव इस दिशा में कुछ अभिनव थूकासनो की ईजाद भी करेंगे और अपनी दिव्य बाली दृष्टि का imagesचमत्कारिक प्रयोग कुछ कारगर औषधियों की खोज में करेंगे। बाबा दामदेव ने जैसे 2014 के सियासी समर से पहले भगवा पल्टन के सेनापति को काला धन ,भ्रष्टाचार ,मंहगाई वगैरह पर कैसे ,कब ,कहाँ थूकना है की टिप्स दी वैसे ही भविष्य में वह अपने शिविरों में इस देश की भावी और मौजूदा युवा पीढ़ी को टिप्स दिया करेंगे। इस देश की युवा पीढ़ी को रोजी रोजगार के अच्छे दिनों के सपनों के दिवास्वप्न साबित होने से निराश होने की दरकार नहीं।अनन्त संभावनाओं को समेटे थूकने का सुनहरा भविष्य अनन्त संभावनाओं को समेटे उनके लिए है न।

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