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सियासी चौपड़ पर अम्बेडकर

sach ke liye sach ke sath
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पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव हो रहे हैं। देश के महत्वपूर्व प्रान्त उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव की सियासी विसात बिछ चुकी है। .हर दल सियासी चौपड़ पर जिताऊ मुद्दों ,मोहरों के साथ मिशन 2017 के लिए आ डटा है। उत्तर प्रदेश के सिलसिले में सामने आये पहले सर्वे ने गैर बसपा दलों की नींद उडा दी है। यही वजह है की बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर के प्रति प्रेम और श्रद्धा के प्रदर्शन का मोर्चा खुल गया है। अचानक सभी को बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर की याद आने लगी है। देश के गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह भी इस मोर्चे पर अपने तरकश में अम्बेडकर के लिए जुबानी श्रद्धा के तीरों के साथ प्रधान मंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बौद्ध भिक्षुओं की धम्म चेतना यात्रा के बहाने नमूदार हुए। आज के हिंदुस्तान ने अपने वाराणसी संस्करण में आमुख पृष्ठ पर गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह का बयान प्रकाशित किया है। जिसमे श्री सिंह ने कहा है की आजादी के बाद डाक्टर अम्बेडकर को जो सम्मान मिलना चाहिए था वह राजनैतिक दलों से नहीं मिला।
श्री राजनाथ सिंह से यह पूछा जाना चाहिए की उनको ऐसा क्यों लगा और यह ज्ञानोदय चुनावी बेला में ही क्यों हुआ ? भारतीय संबिधान की ड्राफ्टिंग कमेटी में डाक्टर अम्बेडकर को चेयरमैन बनाया जाना ,बाद में सियासी वजहों से उनको भारतीय संबिधान का निर्माता प्रचारित किया जाना ,उनके सम्मान में उनकी जयंती पर सार्वजानिक अवकाश ,उनके सम्मान में डाक टिकट जारी होना उनको ,उनकी प्रतिभा को सम्मान देना ही तो है। यदि उनको और उनकी पार्टी को लगता है की डाक्टर अम्बेडकर को जो सम्मान मिलना चाहिए था वह कम है तब उन्हें भूलना नहीं चाहिए की केंद्र में इस समय पूर्ण बहुमत की सरकार है ,पहले भी भाजपा के समर्थन से केंद्र में सरकार रही ,श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार रही है। वह खुद उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे हैं। उनको या उनकी पार्टी को किसने रोक रखा था डाक्टर अम्बेडकर को सम्मान देने में बकौल उनके जो कमी रह गई उसे पूर करने से ?
श्री राजनाथ सिंह से यह पूछा जाना चाहिए की सदन के भीतर सत्ताधारी दल के रूप में या विपक्ष के रूप में डाक्टर अम्बेडकर को सम्मान देने के लिए उन्होंने या भाजपा ने क्या किया ? बहैसियत मुख्य मंत्री उन्होंने इस दिशा में कौन कौन कदम उठाये?
डाक्टर अम्बेडकर की आत्मा निःसन्देह उनके नाम पर बहाए जाने बाले घड़ियाली आंसुओं ,सतही बयानबाजी ,सतही सियासत को देख कर हंस रही होगी।

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