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व्यंग्य झूठ के ही पाँव होते हैं

sach ke liye sach ke sath
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साहेब ! इस कलि काल में कलंकी अवतार हो न हो पर बीस चउदह में झूठावतार हो चुका। आपने भी देखा ही। पूरी हनक और ठसक के साथ हुआ। बुलेट ट्रेनी रफ़्तार जैसे पाँव और गज भर की जुबान ,56 इंची बाली छाती के वोटर लुभावन ,वोटर मनभावन ,ग्रुप आफ कारपोरेट मेड ढपोर कंपनी में बने शंख से सुशोभित सूरत , और सीरत के साथ। इस झूठावतार ने युगों से चली आ रही इस मान्यता को की झूठ के पाँव नहीं होते गलत सिद्ध करते हुए चुनावी रणभूमि में पहला कदम रखा था ।
झूठावतार ने अवतरित होने का वक़्त भी काफी ठोक बजा कर चुना था। केशरिया छतरी से आच्छादित फुलवारी का एक बूढ़ा माली मेडिकल लीव पर लाचार हाल था । यह बीमार माली इस हद तक लाचार की चाह कर भी यह बताने की स्थिति में नहीं की इस झूठावतार ने जो अटलनामी ओढ़ रखी है वह एक छलावा है। वह घाघनाथ कंपनी की बनी कारपोरेटनामि है। यह लाचार ,बृद्ध माली अपने केशरिया चमन को और इस वतन को झूठ के पाँव तले पददलित होते देखता रहा।दूसरे बृद्ध माली को नींद ने दबोच लिया था। वह सुल्तान ए हिन्द के वेटिंग टिकट के कन्फर्म होने के हसीन सपनों की दुनिया में बिचरने लगा था। ईधर ग्रुप आफ कारपोरेट ने हसीन सपनों की दुनिया में बिचरते इस बृद्ध माली को ऐसा इंजेक्शन लगाया की जब उसकी आँख खुली वह धृतराष्ट्र की गति को प्राप्त हो चूका था। बचे-खुचे बुढ्ढे हकबकाए से झूठावतार का सियासी सर्कस देखने लगे।
साहेब ! इस झूठावतार ने बुलेट ट्रेनी रफ़्तार से ऐसी मैराथनी दौड़ लगाई की जिस फुलवारी में उसने सियासत का ककहरा सीखा था उसके पुराने मालियों को रौंद डाला। केशरिया छतरी से आच्छादित फुलवारी का एकलौता बटबृक्ष उखड गया।मंझोले और छोटे पेड़ या तो झुक -झुक कर झूठावतार चालीसा गाने लगे या चंवर डोलाने लगे। केशरिया छतरी से आच्छादित फुलवारी झूठावतार फुलबारी में तब्दील हो गई।
आपने देखा ही झूठावतार ने इस नव सृजित फुलबारी के लिए अपने मुलुक से तड़ीपार माली इम्पोर्ट किया। नव सृजित फुलबारी में नई प्रजाति के पौध मुंगेरी लाल के हसीन सपनों की फुलबारी से इम्पोर्ट करके लगाए गए। मुफ्तखोरी की आदत से ग्रस्त जनो के लिए उनके खाते में 15 लाख रुपये देने ,बेरोजगारी से त्रस्त परेशान हाल युवा पीढ़ी को नौकरियों की सौगात देने ,देश और देश की सीमाओं की सुरक्षा की चिंता में दुबले होने बालों को सीमाओं की सुरक्षा की आश्वस्ति देने,भ्रष्टाचार के सबाल पर छाती पीटने बालों को भ्रष्टाचार मुक्त भारत देने ,मंहगाई डायन खाये जात है गाने बालों के लिए बहुत सही मंहगाई की मार ….. की नाम पट्टिका लगे गमलों से सुशोभित इस नव सृजित फुलबारी ने इस वतन को किस कदर सम्मोहित किया था कहने की जरूरत नहीं।
]साहेब ! अब तो आप मान ही लो की झूठ के ही पाँव होते हैं। यह जब दौड़ना शुरू करता है तो इसका मीडिया मेड आभा मंडल आपकी तर्क शक्ति ,आपके विवेक पर छा जाता है। उसका हर कदम ,उसका हर जुमला आपको इतना प्यारा लगता है की आप उसके लिए मरने -मारने को आमादा हो जाते हो। झूठावतार की नव सृजित फुलबारी से आपने अपनी पसंद के जो पौधे अपने भरोसे ,विश्वास की बगिया में लगाए उनके मुरझा जाने पर अब पछताने से वो हरे -भरे तो होने से रहे। झूठ के पाँव नहीं होते की मान्यता श्री श्री 420 श्री झूठावतार ने गलत साबित कर दी है पर ज्ञानी जनों की यह बात सोलह आने सही ,सवा सोलह आने खरी है की अब पछताये होत का जब चिड़िया चुग गई खेत।

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