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सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव कई अवसरों पर सूबे के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव को आगाह कर चुके हैं की बेलगाम नौकरशाही पर अंकुश लगाएं। सपा सुप्रीमो की सलाह पर कितना अमल किया गया इसका अनुमान मिर्जापुर जिले की दो घटनाओं से लगाया जा सकता है। प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री कैलाश चौरसिया का संभागीय परिबहन अधिकारी मिर्जापुर श्री चुन्नी लाल से एक ट्रांसफर को लेकर विवाद हुआ। जिसमे परिबहन बिभाग के नौकरशाहों और कर्मचारियों ने राज्य मंत्री के खिलाफ लामबंद हो कर मोर्चा खोल दिया था। राज्य मंत्री ने मुख्य मंत्री को और सपा सुप्रीमो को इस विवाद से अवगत कराया परन्तु सपा की गुटबंदी का नतीजा रहा की राज्य मंत्री को इस मामले में बैंक फुट पर जाना पड़ा।
दूसरा प्रकरण मिर्जापुर की सांसद श्रीमती अनुप्रिया पटेल से विद्युत विभाग के अधिकारीयों से हुए विवाद से जुड़ा है। सांसद श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने जिस आदर्श गाँव ददरी को गोद लिया है वहां दो माह से विद्युत आपूर्ति ठप्प पड़ी है। इस आदर्श गाँव के जले ट्रांसफार्मर को बदलने के लिए सांसद विद्युत विभाग के अधिकारीयों को पत्र लिखती रहीं। उनसे बात करती रहीँ पर ट्रांसफार्मर नहीं बदला गया। 21 मई 016 को सांसद ने इसी समस्या पर बात करने के लिए अपने कैम्प कार्यालय पर विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता ग्रामीण श्री बी.के.गुप्ता और अधीक्षण अभियंता श्री अजय सिंह को बुलाया था। दो माह से ठप्प विद्युत आपूर्ति के मामले को इन अधिकारीयों द्वारा गम्भीरता से लिया गया होता तब जला ट्रांसफार्मर बदल चुका होता।गौर तलब है की शासन ने जले ट्रांसफार्मर बदलने की एक समय सीमा तय कर रखी है।
दो माह पूर्व सांसद के गोद लिए गाँव का ट्रांसफार्मर जलता है ,विद्युत आपूर्ति ठप्प हो जाती है ,सांसद द्वारा इस सन्दर्भ में किये गए पत्र व्यवहार का संज्ञान नहीं लिया जाता। सांसद ने विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता ग्रामीण श्री बी.के.गुप्ता और अधीक्षण अभियंता श्री अजय सिंह से जानना चाहा की जला ट्रांसफार्मर कब बदला जायेगा ,दो माह से ठप्प विद्युत आपूर्ति कब बहाल होगी ? सांसद के इन सबालों का इन अधिकारीयों के पास कोई जबाब नहीं था।
दुस्साहस देखिये की इन अधिकारीयों ने सांसद से विवाद ही नहीं किया पूरे मिर्जापुर शहर की बिजली काटने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया। जिस पर तत्काल शहर की विद्युत आपूर्ति ठप्प कर दी गई। इन अधिकारीयों ने विभागीय कर्मचारियों से सांसद का कैम्प कार्यालय घेरवा लिया। कोढ़ में खाज यह की सांसद पति और उनके प्रतिनिधि के खिलाफ इन बददिमाग अधिकारीयों के दबाब में फर्जी आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई । अखिलेश के उत्तम प्रदेश के बेलगाम अधिकारी जनता की समस्याओं के प्रति कत्तई संवेदनशील नहीं हैं इसकी पुष्टि सांसद के गोद लिए आदर्श गाँव में विगत दो माह से पसरा अँधेरा करता है। इन अधिकारीयों ने अपनी नालायकी के लिए शर्मसार होने की जगह सांसद के खिलाफ यह विवाद खड़ा कर सूबे की नौकरशाही की एक नई कार्य संस्कृति का सूत्रपात किया है। यह प्रकरण बताता है की उत्तम प्रदेश की बेलगाम नौकरशाही पर न तो शासन का कोई नियंत्रण है न ही अखिलेश सरकार का।
इस विवाद में जिलाधिकारी की भूमिका सबालों के घेरे में है। शासन ने जले ट्रांसफार्मर बदलने की एक समय सीमा तय कर रखी है तब दो माह पूर्व जला सांसद के गोद लिए गाँव का ट्रांसफार्मर क्यों नहीं बदला गया ? न तो इस अहम सबाल का विद्युत विभाग के जिम्मेवार अधिकारीयों से जिलाधिकारी ने जबाब माँगा न ही दो माह से आदर्श गाँव ददरी में कायम विद्युत संकट की कोई जबाबदेही तय की गई। किसी गाँव की ठप्प विद्युत आपूर्ति को दो माह तक बहाल न कर पाने बाले अधिकारीयों ने पूरे शहर की बिजली काटने का जो तुगलकी फरमान जारी किया उसका भी संज्ञान जिलाधिकारी ने नहीं लिया। दो माह तक किसी गाँव की विद्युत आपूर्ति ठप्प रहने की जबाबदेही कौन तय करेगा ? इन पंक्तियों के लिखे जाने तक न तो ट्रांसफार्मर बदला गया था न ही दोषी अधिकारीयों के खिलाफ कोई कार्यवाई की गई थी।
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