Menu
blogid : 23731 postid : 1257875

नापाक पाक को कड़ा सन्देश नहीं मुँह तोड़ जबाब देना होगा

sach ke liye sach ke sath
sach ke liye sach ke sath
  • 80 Posts
  • 3 Comments

कश्मीर के उरी सेक्टर में रविवार की सुबहसैन्य छावनी में हुआ आतंकी हमला हमारे 17 सैनिकों की जिंदगी लील गया। हमलावर पूरी तरह से अत्याधुनिक हथियारों से लैस थे,प्रशिक्षित थे। इसके पहले 2 जनवरी2016 को चरमपंथियों ने पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर भी हमला किया था। इसमें सात सुरक्षाकर्मी मारे गए थे, जबकि 20 अन्य घायल हुए थे। मई 2016 में श्रीनगर में कथित चरमपंथियों दो अलग जगहों पर पुलिस को निशाना बनाया। इन दोनों घटनाओं में तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी, जबकि चरमपंथी दो बार मौके से फरार होने में कामयाब रहे थे। जून2016 में कश्मीर के पुलवामा में अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ पर चरमपंथियों का हमला हुआ , जिसमें आठ जवानों की मौत हो हुई थी और 28 घायल हुए थे। हमले के वक़्त सीआरपीएफ जवानों की बस दक्षिण कश्मीर जा रही थी।उस हमले की ज़िम्मेदारी चरमपंथी संगठन लश्करे तैयबा ने ली थी।जून2016 में ही दक्षिण कश्मीर के बिजबेहड़ा में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) के काफिले पर हुए चरमपंथी हमले में तीन जवानों की मौत हुई थी। इस हमले की ज़िम्मेदारी चरममपंथी संगठन हिज़बुल मुजाहिद्दीन ने ली थी। इसी साल जुलाई में सीमावर्ती ज़िले कुपवाड़ा में नियंत्रण रेखा के पास सुरक्षाबलों ने घुसपैठ की एक कोशिश नाकाम की थी।इस दौरान एक भारतीय सैनिक की मौत हो गई थी।
कश्मीर के उरी सेक्टर में हुए हमले से पूरा देश मर्माहत है ,पाक की इस नापाक हरकत को लेकर पूरे देश में मोदी सरकार और पाकिस्तान के खिलाफ क्षोभ मिश्रित आक्रोश व्याप्त है। यह देश जानना चाहता है की 2014 की चुनावी रैलियों में गरजने बाले महानायक की कथनी और करनी का छत्तीसि आंकड़ा और कितने सैनिकों की बलि लेगा ?कब तक सैनिकों की शहादत के बाद खोखली सियासी संवेदना के शब्दजाल ,रटे रटाये जुमलों की घुट्टी पिलाई जाएगी ? गौरतलब है की इन आतंकी हमलों का मास्टर माइंड वह क्रूर और दुर्दान्त आतंकी सरगना है जिसे भाजपा सरकार ने विमान अपहरण काण्ड के बाद उसके बताये आतंकी साथियों सहित उसके बताये ठिकाने पर पहुँचाया था। तात्कालिक परिस्थितियों में जेल में बंद आतंकियों की रिहाई मजबूरी में उठाया गया कदम था। परंतु रिहाई के बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने इस मामले में वैश्विक फलक पर ऐसा कुछ नहीं किया जिससे पाकिस्तान बेनकाब होता।
बहरहाल जनवरी में पठानकोट एयर बेस पर हुए आतंकी हमले के बाद कश्मीर के उरी सेक्टर में सैन्य छावनी पर हुआ हमला बताता है की हमारी सरकार ने पठानकोट से न तो कोई सबक लिया न ही ऐसे हमलों की पुनराबृत्ति रोकने के सुरक्षात्मक उपाय किये। हमारे हुक्मरानों ने अपने ख़ुफ़िया तंत्र की नकेल भी नहीं कसी । यदि ख़ुफ़िया तंत्र की विफलता के लिए जबाबदेही तय करते हुए दंडात्मक कार्यवाई की कार्यसंस्कृति विकसित की जाती तब ख़ुफ़िया तंत्र से बार बार ऐसी चूक न होती। इन हमलों का एक कड़वा सच यह भी है की पाक आतंकियों की मदद करने बाली काली भेड़ें इसी मुल्क में पल रही हैं जिन्हें चिन्हित करना हमारी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए।
अब आतंकी हमलों पर बयानबाजी ,कथित कड़े सन्देश देने की सियासी बातों का कोई औचित्य नजर नहीं आता। पाक की नापाक हरकतों के खिलाफ वैश्विक जनमत कायम किया जाना चाहिए ,पाकिस्तान को उसकी नापाक हरकतों का जबाब उसी के अंदाज में सूद ब्याज सहित दिया जाना चाहिए।( पाठक इसे युद्ध का सुझाव न समझें ) हमारे हुक्मरानों को समझना होगा की कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती ,शठे शाठ्यम समाचरेत का वक्त आ गया है। फ़ौरन से पेश्तर पाकिस्तान को उसकी नापाक हरकतों का जबाब उसी के अंदाज में सूद ब्याज सहित दे कर हम सही मायने में अपने सैनिकों को सच्ची श्रंद्धांजलि दे सकते हैं।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh