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सर्जिकल स्ट्राईक के बाद के घटनाक्रमों और मीडिया की भूमिका की निष्पक्ष पड़ताल की जानी चाहिये। खबरिया चैनलों ने रेटिंग की होड़( जिसमे नरेन्द्र मोदी के 56 ईंच के सीने को सत्यापित करने की होड़ शामिल थी ) में बहुत कुछ ऐसा परोसा जो नहीं परोसा जाना चाहिये था। केंद्र सरकार के कुछ अति उत्साही मंत्रियों और छवि बनाने ,छवि बिगाड़ने के ठेकेदार खबरिया चैनलों ने देश को यह बताना शुरू किया की पहली बार केंद्र में 56 ईंच सीने बाले प्रधान मंत्री की वजह से नापाक पाक की सीमा में घुस कर किसी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राईक किया है। ऐसे खबरिया चैनलों से पूछा जाना चाहिए की नापाक पाक का भूगोल बदलने बाली इंदिरा सरकार की कार्यवाई उनकी नजर में क्या मायने रखती है ? दरअसल मीडिया मोदी सरकार के पक्ष में जाने बाली हर बात को 60 साल में पहली बार का टैग लगा कर विपक्षी दलों को मजबूर करती है की वह मोदी सरकार को अतीत के आंकड़ों का आईना दिखाए जो उसे दिखाना चाहिए ,जिसका हक़ उसे हमारा लोकतान्त्रिक ढांचा देता है।खबरिया चैनलों पर होने बाली बेतुकी डिबेट्स में अमूमन यह तय करना मुश्किल होता है की यह डिबेट का एंकर है या भाजपा और मोदी सरकार का प्रवक्ता ?
ऐसे ही खबरिया चैनल सर्जिकल स्ट्राईक पर विवाद को तूल दे रहे हैं। विपक्ष के तार्किक विरोध को पाकिस्तान का समर्थन करने बाला कदम बताने की हद तक जाने से इनको परहेज नहीं। यह मीडिया के पतन की पराकाष्ठा ही है कि देश भक्ति और देश द्रोह के मानक अब मीडिया घराने तय करने लगे हैं। ऐसे ही मीडिया घराने सर्जिकल स्ट्राईक पर विवाद को तूल देने का काम कर रहे हैं।
सर्जिकल स्ट्राईक का हर हिंदुस्तानी ने स्वागत किया ,कांग्रेस सहित सारे राजनैतिक दलों ने स्वागत किया ,पूरा देश भारतीय सेना के पराक्रम पर गौरवान्वित है। सभी राजनैतिक दलों ने देश हित में केंद्र सरकार के साथ होने की बात कही। विवाद तब शुरू हुआ जब भगवा पल्टन ने उड़ी के शहीद सैनिकों की शहादत और सर्जिकल स्ट्राईक की आंच पर सियासी रोटियां सेंकनी शुरू की। यह दावा किया जाने लगा की ऐसी सर्जिकल स्ट्राईक पहली बार हुई है। ऐसे बेबुनियाद दावों पर जो स्वाभाविक प्रतिक्रिया होनी चाहिए थी कांग्रेस की तरफ से हुई। रणदीप सिंह सुरजेबाला ने तथ्यों के साथ देश को यह बताया की मनमोहन सिंह सरकार ने ऐसी तीन सर्जिकल स्ट्राईक की थी। क्या मनमोहन सिंह ,कांग्रेस या मनमोहन सरकार ने सर्जिकल स्ट्राईक का ढोल पीटा था ? सत्ताधारी दल की हैसियत से कांग्रेस ने भी सड़कों पर ऐसा ही प्रदर्शन किया था ?
सच तो यह है की लम्बे समय से कश्मीर में जारी हिंसा ,लगातार हो रही आतंकी बारदातों ,पूर्व सूचना के बावजूद पठान कोट एयर बेस और उड़ी सैन्य शिविर पर आतंकी हमले ,हमारे 18 सैनिको की लोमहर्षक मौत से पूरे देश में केंद्र सरकार के खिलाफ गंभीर क्षोभ था ,हर भारतवासी आक्रोशित था। सर्जिकल स्ट्राईक को सियासी डैमेज कंट्रोल के लिए भुनाने की भगवा पल्टन की सियासत ने इसे सियासी मोड़ देने का काम किया। कोढ़ में खाज की तरह खबरिया चैनलों ने सर्जिकल स्ट्राईक को विवादित मोड़ देने का काम किया।
सैन्य कार्यवाई खबरिया चैनलों पर जेरे बहस होगी तब स्वाभाविक है उसका नतीजा वही होगा जो देश देख रहा है। ऐसे दुर्भाग्य पूर्ण नतीजे न तो देश हित में हो सकते हैं न ही उनसे वैश्विक फलक पर इस देश की छवि में चार चाँद लग सकते हैं। देश हित में यह नितांत आवश्यक है की सैन्य कार्यवाई खबरिया चैनलों पर बहस का मुद्दा न बने।
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