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जिसे लोग मुलायमी कुनबे के महाभारत का पटापेक्ष समझ रहे थे वास्तव में वह सियासी विरासत को लेकर शुरू जंग का मध्यांतर था .महाभारत पार्ट -1 के समय इस महाभारत के प्रमुख महारथी कह जरूर रहे थे की कहीं कोई मतभेद नहीं है ,कोई समस्या नहीं है पर परदे के पीछे शह और मात का खेल जारी रहा .महाभारत पार्ट -1 के मध्यांतर और पार्ट 2 के प्रारम्भ के बीच सपा सुप्रीमो ने दो उल्लेखनीय नाटकीय फैसले लिए .एक तरफ अखिलेश के प्रबल पक्षधर प्रोफ़ेसर राम गोपाल यादव की घर वापसी हुई वहीँ महाभारत पार्ट –1 के मुख्य किरदार गायत्री प्रसाद प्रजापति को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया .
अब जबकि किसी समय निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीखें घोषित कर सकता है चचा शिवपाल ने भतीजे अखिलेश के चेहेतों का चुनावी पिच पर प्रवेश ही प्रतिबंधित कर दिया .अखिलेश सहित उनके पसंद के 38 लोगों का नाम शिवपाल की सूचि से गायब है .
मौसमी शीत लहर के बीच सपा सियासी लू के थपेड़े झेल रही है .फिलहाल सपा सुप्रीमो शिवपाल के साथ खड़े हैं जबकि अखिलेश खेमे में भी भावी रणनीति के लिए मैराथन बैठकों का दौर जारी है .कहने को तो अखिलेश कह रहे हैं की सपा फिर सरकार बनाएगी पर उनके दावे में वह आत्मविश्वास नजर नहीं आता जो महाभारत पार्ट -1 के समय मीडिया से बात के समय देखा गया था .
अखिलेश ने टिकट कटने या टिकट न मिलने से मायूस अपने समर्थकों को आश्वासन दिया है की वह नेता जी से बात करेंगे पर जो हालत मुलायम -शिवपाल की युगलबंदी ने पैदा कर दिए हैं उनमे अखिलेश के लिए संभावनाओं के दरबाजे बंद हो चुके हैं .
सबाल लाजिमी है की इस महाभारत में अखिलेश यादव का अगला कदम क्या होगा ? संभव है की अखिलेश पितृ मोह त्याग कर अपनी अलग सियासी राह चुनें और सपा बिखर जाए .इसमें कहीं किसी को संशय नहीं है की आज सपा की युवा फ़ौज सहित बहुमत अखिलेश के साथ खड़ा है ,मुलायम का तिलिस्म टूटना तय है .अखिलेश यदि अलग गुट बना कर चुनाव लड़ने का साहस दिखा सके तब उनको रालोद ,कांग्रेस ,केजरीवाल ,नितीश का प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन मिल सकता है . अखिलेश ने अपने समर्थकों को कहा है की वह चुनाव लड़ने की तैयारी करे. प्रेम ,युद्ध और सियासत में कुछ भी असंभव नहीं होता देखना दिलचस्प होगा की मुलायमी कुनबे के महाभारत पार्ट -2 का ऊंट किस करवट बैठता है ?
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