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2014 के आम चुनाव से शुरू मोदी युग ने मीडिया के चाल ,चरित्र ,चेहरे में एक अजीबो गरीब तबदीली की। पेड़ न्यूज से इतर मीडिया का एक ऐसा गिरोह हमारे सामने आया जिसने छवि बनाने ,छवि बिगाड़ने का ठेका ले लिया। सफ़ेद झूठ को सच बना कर पेश किया जाने लगा ,दुर्भाग्य की बात है की यह शर्मनाक खेल अभी भी जारी है।
नोटबंदी प्रकरण में भी कुछ अपवादों को छोड़ दें तब एक बड़ा तबका नोटबंदी के तुगलकी फरमान की पैरोकारी करने में जुट गया। मीडिया के इस पतन की वजह से उसने खुद की विश्वसनीयता खोई है और लोगों का विश्वास सोशल मीडिया के प्रति बढ़ा है। यह स्थिति पारंपरिक मीडिया से आत्ममंथन की मांग करती है। उसे यह समझना होगा की उसका मौजूदा चेहरा अब लोगों की समझ में आने लगा है। लोग अब आगे आकर उसे जलील करने लगे हैं। बीते दिनों एक नामी खबरिया चैनल के खिलाफ हुए मुखर विरोध प्रदर्शन का सन्देश साफ़ है की निष्पक्ष और तटस्थ भूमिका निभाएं अन्यथा जनता आपको बेनकाब करने से परहेज नहीं करने बाली है। छवि बनाने ,छवि बिगाड़ने का आपका खेल जनता समझने लगी है।
मोदी सरकार ने जब निष्पक्ष और तटस्थ भूमिका बाले चैनल एनडीटीवी पर एक दिन का प्रतिबन्ध लगाया तब उसका राष्ट्रव्यापी विरोध हुआ ,हवा का रूख भांपते हुए मीडिया जगत ने भी इस फैसले का विरोध किया। सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा।
वहीँ छवि बनाने ,छवि बिगाड़ने के खेल में शामिल जी न्यूज़ के मुख्य संपादक सुधीर चौधरी, कैमरा मैन, और रिपोर्टर के विरुद्ध पश्चिम बंगाल में दर्ज की गई एफआईआर का संज्ञान न तो जनता ने लिया न ही मीडिया जगत में कोई हलचल नजर आई। जहाँ एनडीटीवी पर एक दिन का प्रतिबन्ध के विरुद्ध सोशल मीडिया ,जनप्रतिनिधि ,प्रेस क्लब ,एडिटर्स गिल्ड ने विरोध दर्ज कराया था वहीँ जी न्यूज़ के मुख्य संपादक सुधीर चौधरी के विरुद्ध दर्ज एफआईआर के मामले में विरोध की रस्म अदायगी से बात आगे बढ़ती नजर नहीं आ रही।
छवि बनाने ,छवि बिगाड़ने के खेल में शामिल लोगों को यह बात समझ लेनी चाहिए की उनका यह खेल खुद उनकी बहुत घिनौनी छवि इस देश के सामने पेश कर रहा है ,उनका यह खेल उनकी खुद की विश्वसनीयता पर सबालिया निशान खड़ा कर रहा है।छवि बनाने ,छवि बिगाड़ने के खेल में शामिल हो कर आप अपना ,अपने मीडिया घराने का आर्थिक हित भले साध लो लेकिन लोगों की नजर से गिरे तो शायद खुद को माफ़ न कर पाओगे। जी न्यूज़ के मुख्य संपादक सुधीर चौधरी के विरुद्ध दर्ज एफआईआर के मामले में मीडिया जगत और समाज की प्रतिक्रिया का स्पष्ट सन्देश यही है।
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