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सियासी घमासान में धरती पर धरती पुत्र

sach ke liye sach ke sath
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सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के समर्थकों के पसंदीदा नारे सपा में जारी घमासान में कदाचित पहली बार हकीकत से दो चार होते नजर आ रहे .पहला नारा ” बोल मुलायम हल्ला बोल” ,दूसरा नारा “जिसका नाम मुलायम है उसका जलवा कायम है ” और तीसरा नारा ” धरती पुत्र मुलायम सिंह ” का .
सपा में मुलायम की सियासी विरासत को लेकर कभी मुलायम पुत्र अखिलेश यादव तो कभी उनके भाई शिवपाल यादव ने अपने अपने तरीके से हल्ला बोला जिसे धरती पुत्र मुलायम सिंह ने शांत कर के यह सिद्ध किया की “जिसका नाम मुलायम है उसका जलवा कायम है ” .
सपा में मुलायम की सियासी विरासत को लेकर छिड़ी जंग फिलहाल सूबे के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने जीत ली है . राजनीति के घुटे खिलाडी धरती पुत्र मुलायम सिंह के पांव तले से उनकी सियासी जमीन सरक गई तब उनको पता चला की जिसका नाम मुलायम है उसका जलवा अब कायम नहीं है.जिन राम गोपाल यादव की कुछ ही घंटे पहले धरती पुत्र मुलायम सिंह ने पार्टी में वापसी कराइ थी ,जो कभी मुलायम सिंह के चाणक्य हुआ करते थे उन्होंने सियासी अखाड़े के पहलवान मुलायम सिंह यादव को धोबी पाट दांव से धरती दिखा दी .
राम गोपाल यादव ने मुलायम की मर्जी के खिलाफ सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन किया जिसमे विधिवत अखिलेश यादव की ताजपोशी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर कर दी गई .इस अधिवेशन ने जहाँ मुलायम सिंह के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हुए उनको संरक्षक और मार्गदर्शक घोषित किया वहीँ शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने तथा अमर सिंह को पार्टी से निकाल बहार किया . इस राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद मुलायम सिंह संभवतया अपने सियासी सफर में खुद को पहली बार असहाय महसूस कर रहे हैं .
मुलायमी कुनबे की महाभारत अब चुनाव आयोग पहुँच गई है. जहाँ मुलायम खेमा और अखिलेश खेमा अपने अपने तर्कों के साथ अपने खेमे को असली सपा बताते हुए पार्टी चुनाव चिन्ह साइकिल पर दावेदारी की जंग लड़ेगा .विधि विशेषज्ञ मानते हैं की विधान सभा के चुनाव तक पार्टी चुनाव चिन्ह साइकिल पर दावेदारी की जंग पर चुनाव आयोग किसी निष्कर्ष पर पहुंचे इसकी सम्भावना बहुत कम है .दोनों खेमों को अलग अलग चुनाव चिन्हों पर चुनाव लड़ना पड़े इसकी सम्भावना ज्यादा है .
संख्या बल की बात करें तब अखिलेश खेमा ने निर्णायक बढ़त ले रखी है .स्थिति कमोवेश आंध्र प्रदेश जैसी है जहाँ एंन .टी .रामाराव को चंद्र बाबु नायडू की बगावत झेलनी पड़ी थी और संख्या बल के आधार पर जीत चंद्र बाबु नायडू के हिस्से में आई थी .
धरती पुत्र मुलायम सिंह ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा कर खुद को हास्यास्पद स्थिति में पहुँचाया है .देखना दिलचस्प होगा की धरती पुत्र जमीनी सच को स्वीकार कर इस सियासी संकट से खुद को और समाजवादी पार्टी को उबार पाते हैं या सियासी अखाड़े में सुनिश्चित हार की राह चुनते हैं .

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