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सोशल मीडिया पर बीएसएफ और सीआरपीएफ तथा सेना के जवानों ने देशवासियों को जो कुछ बताया है वह निश्चित तौर पर हमारी व्यवस्था को घुन की तरह चाटते भ्रष्टाचार की अंतहीन कहानी है.बीएसएफ के जवान तेज बहादुर ने जो वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया है उसमे बताया गया है की जवानों को कैसा घटिया नाश्ता और खाना दिया जाता है .यह वीडियो बताता है की कहीं न कहीं गंभीर गड़बड़ी है .एक जवान ने ९ पेज का पत्र लिख कर तमाम गड़बड़ियों को उजागर किया .
कहने की जरूरत नहीं की हमारे सैन्य बल और अर्ध सैनिक बल के जवानों को किन विषम परिस्थितियों में नौकरी करनी पड़ती है .जान की बाजी लगाकर इस देश और देश की सीमाओं की सुरक्षा करने बाले जवानों को यदि ढंग का भोजन ,नाश्ता नहीं मिल रहा तब यह स्थिति शर्मनाक है .
सोशल मीडिया पर जारी वीडियो ने खबरिया चैनलों को भी एक मसाला मुहैय्या कराया जिसे अलग अलग चैनलों ने अपने अपने तरीके से परोसा .
शुरुवाती दौर में बीएसएफ के आला अधिकारीयों का रूख मामले की लीपापोती करने का रहा .सम्बंधित जवान की कुंडली खोलने से लेकर शिकायत से मुकरने के लिए उसपर नाजायज अफसरी दबाब बनाने की शर्मनाक कोशिस की गई .जवान के अनुशासन में न रहने से लेकर उसकी ख़राब मानसिक स्थिति तक की बातें की जाने लगीं . जब सोशल मीडिया पर जवान की मानसिक स्थिति के सम्बन्ध में कही गई बातों का माखौल उड़ने लगा तब मामले की जांच की बात कही गई .यह जांच पारदर्शी हो ,निष्पक्ष हो यह उम्मीद की जानी चाहिए .
एक संतोष की बात यह हुई है की सेना प्रमुख ने सैनिकों को आश्वस्त किया है की वह अपनी शिकायत सीधे उनसे कर सकते हैं .उन्होंने इस सम्बन्ध में शिकायत पेटिका लगाने के निर्देश दिए हैं और सैनिकों को आश्वस्त किया है की वह निर्भीक होकर अपनी समस्याओं की जानकारी शिकायत पेटिका में डालें उनकी पहचान गुप्त रखी जायेगी .जरुरत है की सेना प्रमुख की तरह ही अर्ध सैन्य बलों में भी ऐसी व्यवस्था शुरू की जाए .
न्याय का तकाजा है की जवानों ने जो कुछ सोशल मीडिया के माध्यम से कहा है उन बातों का संज्ञान लिया जाये .शीर्ष प्राथमिकता पर उन समस्याओं का समाधान सुनिश्चित किया जाये .जवानों के शोषण की प्रबृत्ति पर सख्ती से रोक लगाई जाए .जिन जवानों ने व्यवस्था को आईना दिखाने का जोखिम भरा साहस किया है उनको भविष्य में दमन चक्र में नहीं पीसा जाएगा यह आश्वस्ति गृह मंत्रालय की तरफ से दी जानी चाहिए .
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