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पटना में हुई ह्रदय विदारक नौका दुर्घटना ने पलक झपकते २५ लोगों को लाश में तब्दील कर दिया .मृतकों की सही संख्या इस दुर्घटना में लापता लोगों के सही विवरण मिलने के बाद ही पता चलेगी .इस हादसे ने एक बार फिर प्रशासनिक नाकारेपन को बेनकाब किया है . अब तक जो तथ्य प्रकाश में आये हैं वह नीतीश के सुशासन पर सबालिया निशान लगाते हैं ,हमें बताते हैं की यह हादसा प्रशासन की आपराधिक लापरवाही का नतीजा है .विहार सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित पतंग उत्सव के लिए प्रचार माध्यमों पर विज्ञापन देकर लोगों को आमंत्रित किया गया था .लोगों को बताया गया था की आने जाने के लिए मोटरवोट की निःशुल्क सेवा उपलब्ध होगी .लोगों को ले जाने की व्यवस्था तो आयोजकों ने की थी परन्तु वापसी के लिए समुचित प्रबंध करने की जरुरत नहीं समझी गई .नतीजतन पतंगोत्सव में गए लोगों में वापसी को लेकर अफरा तफरी मची ,प्राइवेट नावों से लोग लौटने को मजबूर हुए .प्राइवेट नौका संचालन की निगरानी की लचर व्यवस्था के कारण ओवर लोड नावों से लोगों को लौटना पड़ा और यह हादसा हो गया .
भीड़ प्रबंधन के मामले में प्रशासन द्वारा बरती गई आपराधिक लापरवाही पहले भी लोगों को लाश में तब्दील करती रही हैं ,मंदिरों ,आध्यात्मिक आयोजनों ,राजनैतिक आयोजनों में भी झुण्ड के झुण्ड लोग मौत का निवाला बनते रहे हैं .
हादसे होते हैं ,मृतकों ,घायलों को मुआवजे की रस्म अदायगी ,जाँच और दोषी बख्शे नहीं जायेंगे की सरकार और उसके प्रशासनिक तंत्र द्वारा बयानबाजी होती है परन्तु इन कथित जांच के नतीजे सामने नहीं आते .हादसे की आच ठंडी पड़ते ही मुआवजे का मामला भी प्रशासनिक जाँच के पेंच में फंस जाता है .
यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है की तमाम हादसों के बाद भी हमारे पास न तो भीड़ प्रबंधन के कुशल प्रबंधक हैं और न ही ऐसे मामलों में जिम्मेवारी तय कर दोषियों के खिलाफ आपराधिक अभियोग चलाने की प्रशासनिक कार्य संस्कृति .हादसे के बाद आरोप -प्रत्यारोप का सिलसिला अधिकतम एक सप्ताह चलता है और स्थिति फिर बैतलवा डाल पर की हो जाती है .
बहरहाल सुशासन बाबु के नाम से प्रसिद्द बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार से अपेक्षा की जानी चाहिए की वह इस हादसे में हुई मौतों की जबाबदेही तय करते हुए दोषियों के खिलाफ आपराधिक अभियोग चलाने की प्रशासनिक कार्य संस्कृति का श्रीगणेश करेंगे .
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