- 80 Posts
- 3 Comments
२०१४ के लोक सभा चुनाव में कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा शैली में भाजपा ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा ,इस कुनबे में भाजपा के अलावा विभिन्न दलों के बागियों और तमाम दागियों को शामिल किया गया .धनबल ,मीडिया छल ने भाजपा को सफलता तो दिलाई परन्तु उसकी सांगठनिक संरचना तार तार हो गई और भाजपा नरेंद्र मोदी -अमित शाह की पर्याय बन कर रह गई .चुनाव में पार्टी संगठन हाशिये पर रहा ,लाल कृष्ण आडवाणी सहित तमाम वरिष्ठ नेता जिन्होंने भाजपा को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में अपनी जिंदगी खपा दी या तो कोप भवन में रहे या आंधी आवे बैठ बितावे की राह पर तमाशबीन की भूमिका में रहे .
मोदी की हनक के दरकने की शुरुवात दिल्ली विधान सभा के चुनाव में हुई जहाँ सारी ताकत झोंकने के वावजूद भाजपा का जनाजा निकल गया जिसे उठाने के लिए चार कंधे तक नसीब नहीं हुए थे (यहाँ भाजपा को शर्मनाक पराजय झेलनी पड़ी थी और मात्र ३ विधायक ही चुनावी वैतरणी पार कर सके थे ).बिहार विधान सभा के चुनाव में भी मोदी की जुमलेबाजी को जनता जनार्दन ने नकार दिया .
दिल्ली और विधान सभा चुनाव में दुर्गति के वावजूद मोदी -अमित शाह की दुरभि संधि भाजपा की सांगठनिक संरचना को अपनी मर्जी से संचालित करती रही .
५ राज्यों के मौजूदा विधान सभा चुनाव में मोदी -अमित शाह की जोड़ी ने एक बार फिर संगठन पर अपनी मर्जी थोपनी शुरू की तब सांगठनिक स्तर पर २०१४ से ही सुलग रही असंतोष की आग भभक उठी .पंजाब ,उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में टिकट वितरण में पार्टी कैडर को दरकिनार करते हुए दागियों और विभिन्न दलों के बागियों को टिकट देने के फैसले के विरोध में भाजपा का सांगठनिक कैडर सड़कों पर उतर आया ,मोदी -शाह की जोड़ी के खिलाफ प्रदर्शनों और पुतला दहन का दौर शुरू हो गया है .यह विरोध प्रदर्शन भाजपा के लिए विधान सभा चुनाव में भारी पड़ने बाला है .
Read Comments