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चाल ,चरित्र ,चेहरा ,राजनैतिक शुचिता की बातें करने बाली भाजपा को ऐन चुनाव के बीच अपनों की वगावत से जूझना पड़ रहा है . पंजाब,उत्तराखंड ,उत्तर प्रदेश में टिकट वितरण को लेकर पार्टी का मूल कैडर सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहा है जो कहीं न कहीं नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए खतरे की घंटी है. पार्टी में सुलग रही बगावती आग से यह साफ़ हो गया है की अब नरेंद्र मोदी और अमित शाह की मनमानी सहने को पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता तैयार नहीं है . पार्टी ने जिस तरह आया राम गया राम की राजनीति को गले लगाया है उसका यही खेल उसकी गले की हड्डी बन गया है .उसके पास सपा की तरह डैमेज कंट्रोल के लिए वक्त भी नहीं है .भाजपा को दो मोर्चों पर सियासी जंग लड़नी होगी ,पहला पार्टी में बगावत का और दूसरा चुनाव मैदान का .
नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पार्टी जनों के मन में जो असंतोष 2014 के संसदीय चुनाव में गुजरात से आये चुनाव प्रबंधकों की मातहती से उपजा था वह अब खुल कर सामने आ गया है. भाजपा के दुर्दिन में भी चुनाव जीतने वाले श्याम देव राय चौधरी का टिकट काटे जाने से पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता आक्रोशित है .असंतुष्टों को मनाने आये पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्या और उत्तर प्रदेश प्रभारी ओम माथुर को उग्र विरोध झेल कर बैरंग वापस होना पड़ा है .
(साभार कार्टून काजल कुमार )
पूर्वांचल की राजनीति में मजबूत प्रभाव और पकड़ रखने वाले योगी आदित्य नाथ को मानाने की कोशिशें नाकाम हो गईं .हिन्दू युवा वाहिनी ने अलग से चुनाव लड़ने की घोषणा की और अपने प्रत्याशी भी उतार दिए .योगी की नाराजगी भाजपा की सियासी वनवास से उबरने की उम्मीदों पर पानी फेरेगी यह तय माना जा रहा है .
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में 2002 से ही भाजपा का ग्राफ लगातार गिरता रहा है .2002 में उत्तर प्रदेश विधान सभा में उसके विधायकों की संख्या88 थी जो 2007 में 51रह गई ,2012 में यह संख्या मात्र 47 रह गई .ऐसी स्थिति में भाजपा अन्य दलों के दागियों ,वागियों ,पार्टी के क्षत्रपों के नातेदारों ,रिश्तेदारों की जिस फ़ौज के भरोसे अपने सियासी वनवास से उबर पाएगी ऐसे हालात फिलहाल नजर नहीं आ रहे .
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