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लोकतंत्र की प्राण वायु है लोकतान्त्रिक तरीके से अपने विचारों को प्रस्तुत करने का संवैधानिक अधिकार। व्यवस्था,उसकी नीतियों को लेकर असहमति की लोकतान्त्रिक तरीके से अभिव्यक्ति के भरपूर अवसर। जब जब सत्ता प्रतिष्ठान ने इस प्राणवायु को अवरुद्ध करने की भूल की लोकशक्ति ने ऐसे सत्ता प्रतिष्ठान को बाहर का रास्ता दिखाया है। इंदिरा शासन का आपात काल,लोकनायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में आपातकाल के खिलाफ हुई सम्पूर्ण क्रांति ,इंदिरा शासन का पतन ,जनता पार्टी का शासन ,जनता सरकार के पतन का इतिहास इस बात की पुष्टि करता है.
राजा मांडा वी.पी. सिंह राजीव गांधी सरकार के खिलाफ बोफोर्स तोप की खरीद में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनता जनार्दन को यह समझाने में सफल रहे की राजीव गाँधी सरकार ने भ्रष्टाचार किया है. उस समय राजा मांडा वी.पी. सिंह के छद्म ने उनकी ऐसी छवि गढ़ी थी की काशी की धरती ने उनके समर्थन में ” राजा नहीं फ़कीर है देश की तकदीर है ” का नारा दिया। जिसने काशी की धरती से पैदा हुए फ़कीर को इस भरोसे और विश्वास के साथ देश की तकदीर सौंपी थी की यह फ़कीर बोफोर्स तोप की खरीद में कथित भ्रष्टाचार का सच देश के सामने लाएगा और बोफोर्स घोटाले के दोषियों के खिलाफ शीर्ष प्राथमिकता पर कार्यवाई करेगा। वी.पी. सिंह का छद्म उजागर हुआ ,जनता जनार्दन ने खुद को छला हुआ महसूस किया उसका नतीजा जगजाहिर है।
2014 के आम चुनाव के हासिल नतीजों की पड़ताल करें तब मौजूदा प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने 60साल की कथित लूट और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया और कमोबेश वी.पी. सिंह के ही इतिहास को दोहराते नजर आ रहे हैं और इतिहास खुद को दोहराता नजर आ रहा है।
वी.पी. सिंह बोफोर्स तोप दलाली तथा मण्डल कमीशन के तीर अपने तरकश में लेकर उतरे थे और अवाम को यह समझाने में सफल हुए की कांग्रेस ने रक्षा सौदे में दलाली का अपराध किया है।
उत्तर प्रदेश ने हमेशा देश की सियासत में अहम् भूमिका निभाई है।यूपी ने राजा मांडा वी.पी. सिंह को देशभक्ति और भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा सियासी योद्धा माना ,काशी की धरती ने ” राजा नहीं फ़कीर है देश की तकदीर है ” का नारा दिया सत्ता तक पहुँचाया। 2014 में भी उत्तर प्रदेश ने किया उसने एक गरीब चाय बाले नरेन्द्र मोदी को भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े ईमानदार ,देश भक्त योद्धा के रूप हांथों हाँथ लिया। इस योद्धा ने चुनावी समर में अपने आक्रामक प्रचार ,संचार माध्यमों के प्रयोग और मीडिया प्रबंधन से दिल्ली का सफर तय किया। यह बात दीगर है की कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा की लोकोक्ति को चरितार्थ करने ,चुनाव प्रचार पर पानी की तरह पैसे बहाने के बावजूद नरेन्द्र मोदी की बातों से महज 31 प्रतिशत मतदाता ही सहमत थे।
2014 के चुनाव में भाजपा ने अवाम को जो सपने बेचे थे वह छलावा सिद्ध हुए ,अवाम से किये गए वायदों को भाजपा ने सत्ता हासिल करने के बाद चुनावी जुमला कहा तब लोगों ने खुद को उसी तरह छला गया महसूस किया जैसे वी.पी. सिंह को सत्ता तक पहुँचाने के बाद महसूस किया था।
उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में भी भाजपा 2014 के आम चुनाव में अपनाई गई चुनावी रणनीति के साथ मैदान में है।उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव के परिणाम नरेन्द्र मोदी का भविष्य तय करेंगे यह तय है। 2014 के आम चुनाव में जहाँ मोदी ही भाजपा के पर्याय बन कर उभरे थे वहीँ 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा मोदी -शाह की युगलबंदी के तिलिस्म को तोड़ती नजर आई। जगह जगह टिकट वितरण को लेकर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने मोदी और अमित शाह के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया। बगावती आग अभी भी ठंडी नहीं पड़ी है। खुद नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भाजपा के कद्दावर नेता श्याम देव राय चौधरी (जो सात बार विधायक रहे ) टिकट कटने से मर्माहत हैं और कोप भवन में हैं। प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्या ,अमित शाह ,रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने श्याम देव राय चौधरी को मनाने की तमाम कोशिशें की जो नाकाम रहीं।
वाराणसी में अपनी नाक बचाने की कठिन चुनौती को देखते हुए मोदी ने अपना पूरा मंत्रिमण्डल वाराणसी में तैनात कर रखा है। उनकी छटपाहट का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है की प्रधान मंत्री ने आदर्श आचार संहिता की और सुरक्षा मानकों की धज्जियाँ उड़ाते हुए बिना अनुमति के वाराणसी में रोड शोऔर रोड शो पार्ट -2 तक किया और तीन दिन तक वाराणसी में चुनावी कार्यक्रम तय किया। जो कहीं न कहीं यूपी में भाजपा की हार के भय की मुनादी करते प्रतीत होते हैं .अपनी बेबाक टिपण्णी के लिए मशहूर भाजपा के स्टार प्रचारक रहे शत्रुघ्न सिन्हा की रोड शो पर प्रतिक्रिया भी बताती है की यूपी में भाजपा की हार के भय से परेशान है .
यदि उत्तर प्रदेश का परिणाम दिल्ली ,बंगाल और बिहार के चुनाव परिणामों को दोहराता है तब भाजपा इसका ठीकरा नरेन्द्र मोदी के सिर पर फोड़ेगी यह आशंका नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर स्पष्ट पढ़ी जा सकती है।
अपने टूटते तिलिस्म से घबड़ाये नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में त्रिशंकु विधान सभा की बात कह कर भाजपा के 300 + के दावों पर सबलिया निशान लगाया है जो भाजपा की जमीनी हकीकत बता रहा है। उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम देश की सियासत की नई पटकथा लिखेंगे यह तय है।
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