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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश सरकार के खिलाफ सूबे की लचर क़ानून व्यवस्था को भाजपा ने अपने चुनावी प्रचार में मास्टर स्ट्रोक की तरह आजमाया। मेरा मानना है सूबे की अमन पसंद जनता ने भाजपा को इस भरोसे पर जनादेश दिया था कि वह प्रदेश की क़ानून व्यवस्था को पटरी पर लाने का काम शीर्ष प्राथमिकता पर करेगी।
जब भाजपा ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया, तब सूबे की अमन पसंद जनता को जोर का झटका धीरे से लगा। योगी सरकार के शपथ ग्रहण के पहले ही भाजपा के माननीयों के जो और जैसे कारनामे उजागर होने शुरू हुए, उन कारनामों ने लोगों को चौंकाया। लोग यह मान रहे थे कि ये कारनामे शुरुआती अतिउत्साह की कोख से उपजे हैं। ऐसे कारनामों पर योगी आदित्यनाथ सख्ती से अंकुश लगाएंगे। सत्ता मद में भाजपा के माननीय सांसदों, विधायकों, गौरक्षकों के कारनामों पर योगी सरकार की चुप्पी और भाजपा के सांसदों-विधायकों द्वारा क़ानून व्यवस्था से खेलने की हरकतों पर अंकुश लगाने की कोशिश करने वाले पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ योगी सरकार द्वारा की गई कार्रवाई ने इनकी नीति और मंशा को साफ़ कर दिया।
अब तक योगी सरकार के कार्यों से ऐसा प्रतीत होता है कि योगी सरकार मिशन-2019 के लिए उत्तर प्रदेश की प्रयोगशाला में प्रयोग कर रही है। उसकी कार्य सूची में सूबे की क़ानून व्यवस्था की अहमियत समझने के लिए इतना ही काफी होगा कि अपराधों में तकरीबन 300 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद सूबे के बजट में क़ानून व्यवस्था मद पर एक फूटी कौड़ी तक का प्रावधान नहीं है।
रेप, गैंगरेप और हत्याी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा सरकार अपराधों की बाढ़ पर यह कुतर्क देती है कि पहले की सरकारों में एफआईआर ही दर्ज नहीं होती थी। इस सरकार में एफआईआर दर्ज हो रही है। इस वजह से अपराधों की बाढ़ नजर आ रही है। जबकि रायबरेली में 5 लोगों को दिनदहाड़े ज़िंदा जलाकर मार डालने के ह्रदय विदारक मामले में एफआईआर लिखने में हीलाहवाली जग जाहिर है। योगी सरकार में बसपा से आयातित एक कैबिनेट मंत्री खुलकर इस मामले में हत्यारों के साथ खड़े नजर आये। जिसे लेकर योगी सरकार के ही एक कैबिनेट मंत्री ने अपनी नाराजगी का इजहार सार्वजनिक तौर पर किया।
बेपटरी क़ानून व्यवस्था, बेख़ौफ़ अपराधियों का तांडव उत्तर प्रदेश का मौजूदा सच है। बलिया में एक स्कूली छात्रा की दिनदहाड़े स्कूल जाते समय चाकू से गोदकर नृशंस हत्या कर दी गई। हत्यारा वारदात को अंजाम देने के बाद छात्रा के घर पहुंच गया, यह चेतावनी देने कि यदि पुलिस के पास गए तो पूरे परिवार को मार डालेगा। मृतका के पिता को हत्यारों के नातेदार-रिश्तेदार ही नहीं, दरोगा तक धमकी दे रहा है।
मऊ जिले में स्कूली बस को रोककर बेख़ौफ़ शोहदों का गैंग छात्राओं से छेड़छाड़ करने की हिमाकत करता है और खबरिया चैनलों पर योगी सरकार, पुलिस प्रशासन का यह दावा होता है कि एंटी रोमियो दस्ते का गठन कर सड़कों पर महिलाओं को बेख़ौफ़ होकर निकलने का काम किया है।
सच तो यह है कि पुलिस के इकबाल को खुद भाजपा के बेलगाम लोगों ने मटियामेट करने का काम किया है। कानून व्यवस्था तोड़ने वाला यदि भगवा परिवार का है, तो उससे उलझने की हिमाकत पुलिस प्रशासन न करे, योगी सरकार ने यही सन्देश देने का काम किया है। सूबे में क़ानून व्यवस्था की दिन-ब-दिन बिगड़ती स्थिति से उन लोगों को घोर पछतावा होने लगा है, जिन्होंने प्रदेश में अमन चैन की, क़ानून के राज की और सत्ता पोषित गुंडाराज के खात्मे की उम्मीद में भाजपा व उसके सहयोगी दलों के पक्ष में मतदान किया था।
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