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योगी सरकार की नाकारा व्यवस्था ने उजाड़ी 30 गोदें

sach ke liye sach ke sath
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मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ की कर्मभूमि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में 48 घंटे के भीतर शर्मनाक परिस्थितियों के बीच 30 बच्चों की मौत ने हर संवेदनशील इंसान को झकझोर कर रख दिया है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में आक्सीजन सिलेंडर की किल्लत की ख़बरें विगत कई दिनों से गोरखपुर की अखबारी सुर्ख़ियों में रहीं।दो दिन पहले ही यहाँ मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ ने दौरा किया था और चेतावनी दी थी की किसी प्रकार की लापरवाही कत्तई वर्दाश्त नहीं की जायेगी।
अब जो तथ्य उजागर हो रहे हैं वह योगी सरकार के इकबाल पर सबालिया निशान लगाते हैं। बीआरडी मेडिकल कालेज प्रशासन ही नहीं जिला प्रशासन तथा उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा की असंवेदनशीलता तथा अनुत्तरदायी कार्य संस्कृति को बेनकाब करते हैं। जो जानकारियां अब सामने आ रही हैं वह जनता के सरोकारों के प्रति योगी सरकार के असंवेदनशील चरित्र को उजागर करती हैं।
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इंसेफ्लाइटिस से होने वाली मौत का सिलसिला विगत तीन दशकों से जारी है ।इस अवधि में होने वाली मौतों का आंकड़ा ५० हजार के आस पास बताया जाता है। इस अवधि में सत्ता में रही सरकारों ने इस अति गंभीर समस्या को अपेक्षित गंभीरता से नहीं लिया इसमें कत्तई कोई संशय नहीं है। इस बार विधान सभा के चुनाव में योगी आदित्य नाथ ने और भाजपा के स्टार प्रचारक रहे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इंसेफ्लाइटिस से होने वाली मौत को भी चुनावी मुद्दा बनाया था और यह भरोसा दिलाया था की सत्ता में आने पर भाजपा सरकार इस समस्या को शीर्ष प्राथमिकता प्रदान करेगी।
क़ानून व्यवस्था की तरह ही इंसेफ्लाइटिस से होने वाली मौत के सन्दर्भ में किया गया वादा जुमला साबित हुआ। बीआरडी मेडिकल कालेज में 30 बच्चों की मौत आक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति ठप्प होने से हो गई। इस जमीनी हकीकत को झूठलाने के लिए योगी सरकार ने विधिवत प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह कहा की 30 बच्चों की मौत आक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति ठप्प होने से नहीं हुई है। योगी सरकार के एक मंत्री और भाजपा के प्रवक्ता टीवी चैनलों पर यह कुतर्क परोसते दिखे की इन मौत के पीछे विपक्ष की साजिश है।उन अधिकारीयों की साजिश है जो विपक्ष के इशारे पर योगी सरकार को बदनाम करना चाहते हैं।
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पिछले कई दिनों से आक्सीजन सिलेंडर की किल्लत की ख़बरें गोरखपुर के अख़बारों में छप रही थीं। जो फर्म आक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति कर रही थी उसका लगभग 66 लाख रुपये का भुगतान लंबित था। फर्म ने बीआरडी मेडिकल कालेज प्रशासन ,जिलाधिकारी गोरखपुर सहित स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारीयों को बकाया भुगतान के लिए लगातार पत्र लिखे जो ठन्डे बस्ते में डाले जाते रहे। सम्बंधित फर्म ने थक हार कर भुगतान न होने की स्थिति में आपूर्ति रोक देने की लिखित चेतावनी तक दी पर योगी सरकार और उसके नौकरशाहों की कुम्भकर्णी नींद न टूटी। नतीजा यह हुआ की फर्म ने आपूर्ति रोक दी और इस ह्रदय विदारक बाल संहार की वजह ऑक्सीजन सिलेंडर का आभाव बनी।
अब पारम्परिक तौर पर जांच की नौटंकी होगी ,सच को दफनाने की सत्ता पोषित कोशिशें होंगी ,सियासी घमासान मचेगा परन्तु जिन अभागनों की गोद सूनी हो गई उन्हें तो यह दर्द आजीवन सालता रहेगा।

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